अहिराणी भाषा कविता कुणबीना वग

अहिराणी भाषा कविता

        कुणबीना वग

वाटी खोबरानी भुंजी
हुयी पाठमोरी  झायी…
आनी पाडवाले कशी
       लागी जास देखा घाई………1

नवा   वरिसना   साठे
गुढी पायघड्या  टाके…
मन्हा आंगणम्हा खण
       हुबा   टोकरले   झाके………2

फोडी  चैतनी  पालवी
जुनं  झाड नव्वं  झाये…
तेले   देखी  कुणबीनी
       आशा गुलगुला  खाये………3

लिन्हं   आंगव्हर  ऊन
घाम   वैशाखले  धोये…
हाऊ  ऊधळेल  खिसा
       धन  ढेकायास्मा  जोये …….4

अखाजीले नवी घल्ली
घास   निवतना  खास…
आनी  आगारीना वास
       वांधी  सर्गे  लई  जास………5

अखाजीनी  बासी पुरी
देखी  चाली  उना जेठ…
आनी  पाम्भेरले  दाता
       ठोके    सुतारनं    मेट………6

भूत—भवरानी  आना
आभायम्हा काया ढग…
व्हये   कुणबीना   सुरु
       गण…..गवळण….वग……..7

ढग   वाजाडस    नाल
इन्ज आंग  मोडी  नाचे…
पानी   पडताच   कसा
       कोम    दावतस   चाचे…….8

कवी…. प्रकाश जी पाटील….
———–पिंगळवाडेकर———————-

अहिराणी आखाजी कविता गौराई कवी प्रकाश जी पाटील पिंगळवाडेकर

अहिराणी भाषा कविता
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