मंग काय बात से
मंग काय बात से
दरिया किनारे ईक बंगलो गो पोरी अई जो अई
फिराले लई गऊ तठे, ते बायको खुश व्हई गई
काय तो समिंदर!
आनि काय त्यान्हा काठ
दौडी दौडी ईये भेटाले!
त्या समिंदरनी लाट
कशी लहेऱ्या खाये,
दूरदूर जाये,
नाजूक हायी जात से!
बायको मन्हा संगे! मंग काय बात से!…..
मोक्या आभायम्हा उडेत,
मन्हा घरना दोन्ही चिडा
बायको म्हने हिरी फिरी येवो ,
टयी जास ईडा पिडा
जोगे लिधं मयाम्हा,
हात टाका गयाम्हा
हायाती भरना साथ से!
बायको मन्हा संगे! मंग काय बात से!…..
तिन्हा मन्हा मनले वुनी भरती !
चावयता चावयता
येय बठी ऱ्हास नै!
सूर्य सांगी ग्या मावयता मावयता
जीव माले लावत गयी,
दुखनी ती आवस गयी
आज आम्हनी पुनीनी रात से
बायको मन्हा संगे! मंग काय बात से!….
मोहन पाटिल कवळीथकर
9898206964
