रयत जननी अहिल्याबाई होळकर
रयत जननी…
अहिल्याबाई होळकर
जगत जननी।गरीबनी माय।
एकनिष्ठ ठाम। धैर्यवान॥१॥
जन्म भुमी चौंडी।चांगलाच भाव।
कनखर बाधा। कर्मावर॥२॥
ठेवाच दराडा। लष्करी कंमाड।
कारभार कया। एकनिष्ठ ॥३॥
सतीधा निर्णय। एक मनथीन।
बदला निर्णय। मनथीन ॥४॥
मोडीच कु प्रथा।जीव तू वाचाडा।
दिन पाठबय । जिवनले॥५॥
न्याय कारभार ।चोख पने कया।
गरीबले धीर। ध्यानथीन ॥६॥
जनतानी सेवा। पहिलेच मानी।
नावमा गाजनी । मायमाता ॥७॥
जन दरबार। लेत नित्य नेम।
खर काने येता । बोलखरा ॥८॥
अहिल्या मातानी।भुमिका ह्रुदयी।
रयतनी लेक ।रक्षणार्थ ॥९॥
आहिल्या देवीनी । दिव्य दूरदृष्टी।
प्रजा सुखावनी । रणक्षेत्री॥१०॥
✍️Psi विनोद सोनवणे धुळे
दिनांक =१८-१०-२०२३
अप्रतिमच !
अहिल्यादेवी होयकर जशी व्हती तशी हुबेहुब चितारेल शे!