लागनी ahirani kavita

लागनी ahirani kavita

सातव अहिराणी  कवी संमेलन साठे मनी स्वरचित कविता:-
            लागनी

जेन्ह ऱ्हास तेलेज कयस,
चुल्हा न लाकूड चुल्हा माज बयस।

दुनिया भले वैरी कर,
घरना लोकेसना संगरो कर।
येय उनी ते तेसन प्रीम आपले कयस
चुल्हा न लाकूड चुल्हा माज बयस।

दुनिया भले तु फिरी ईसी,
टेल टपोऱ्या करी ईसी।
ध्यान ठेव बाप्या,
घरनासना पोटमाज तु बयस,
चुल्हा न लाकूड चुल्हा माज बयस।

शिकी सवरीसनी साहेब बनशी,
दुनियाले भले सलाम करवशी।
धल्ला माय बाप न पुन करेल,
तेज येय वर आड एस,
चुल्हा न लाकूड चुल्हा माज बयस।

शेती-बाडी, रान-पसारा,
घरमान करस हाऊ तंटा ना मैझारा।
प्रीम ना दोन शब्देसवरी,
भाऊबंदकी ले बांधी ठेव तू सयज,
चुल्हा न लाकूड चुल्हा माज बयस।

टाइम वर आपलाज लोके काम येतस,
गाव सारं तमासा देखस।
दुनिया करस फुकट बहैयस,
चुल्हा न लाकूड चुल्हा माज बयस।

जेन्ह ऱ्हास तेलेज कयस,
चुल्हा न लाकूड चुल्हा माज बयस।

सुधाकर भामरे,बडोदे

कवीसंमेलन 7 वे अखिल भारतीय अहिराणी संमेलन

Ahirani Kavita
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