भाऊ-बीज Khandeshi Ahirani Kavita

भाऊ-बीज Khandeshi Ahirani Kavita


सन शे भाऊबीजना
वान थोर संस्क्रीतीना ॥धृ॥

दादा तेवनारा दिवा
ताई वात समईनी
घर घरमा शोभस
जोडी भाऊ-बहिननी..॥१॥

माय बापना आंडोर
दरवयनारा रितू
पोर सासर-माहेर
दोन्ही जोडनारी सेतू..॥२॥

ताई दादानी कायम
र्हास पाठीराखी वड
दादा ताईना निर्मय
मोठा चिरेबंदी गड..॥३॥

ताई भाऊनं करस
टिया लायीनी औक्षन
बहिननी हयातीनं
भाऊ करस रक्षन..॥४॥

जरी जल्मनी नसनी
तरी मानी ल्या बहिन
घट्ट नाताना धागामा
गुफा पिरेमनी ईन..॥५॥

भाऊ रक्तना नसना
तरी धरमना भेटो
अश्या जिव्हाया देखीनी
मोह देवलेबी वाटो..॥६॥

कवी-देवदत्त बोरसे
(सुगंधानुज)
नामपुर ता.बागलान जि.नाशिक.
मो.नं.९४२१५०१६९५.

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1 thought on “भाऊ-बीज Khandeshi Ahirani Kavita”

  1. अप्रतिम रचना शे आबा!

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