Ahirani Poem मायनं माहेर
मायना माहेरनी गोडी |
माय येस माहेरमा सोडी ||
कसं वाटस तुना मनले |
माले सांगना वय माळी ||१||
याद येस का वयं तुले |
तुना माहेरनी माती ||
सांग, कशी निभावस तु |
आपली नाती आणि गोती ||२||
मना बापना संसारसाठे |
करा तु माहेरना त्याग ||
सांग, या सासरवासना |
तुले येस नही का वय राग ||३||
राखीपुणी नी भाऊबीजशिवाय |
देखस नही तु माहेरन तोंड ||
या सासरवासनी शे |
तुना मांगे एकसारखी सोंड ||४||
तुना एकटा जीवमुळे |
चालसं हाई खटलं ||
तुना एकटी शिवाय |
कोनं हालसं नही पाटलं ||५||
माय, कशी निभावस तु |
एवढा मोठ्ठा संसार ||
तुना चेहरावर देखी नही |
मि कधीन दुःखानी हार ||६||
कवीकुमार तुषार पाटील.
ज्ञानेश्वरत्न साहित्य कला मंच, निंभोरा ता. धरणगाव जि. जळगाव……….
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