Ahirani Kavita

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         ल्हेरे भरी ल्हेरे झोया
नको शेतकरी भाऊ
भरु पानीना रे डोया
देख जरा आभायम्हा
          ढग झायात रे गोया॥धृ॥
निया आभायम्हा काया
कोन काढस रांगोया
काढी धरतीवर बी
         तोच हिरव्या रांगोया॥१॥
भुक्या तिशा कधीसना
काया मातीना ढेकाया
येनं पडी देखिसनी
        त्याले देखाडाले माया॥२॥
देख यी रे फुलीसनी
तुन्हा हिर्वागार मया
मंग नही रे जीवले
           तुन्हा लागनार झया॥३॥
देख भिंजनी भिंजनी
माटी भिंजना ढेकाया
ल्ह्येरे हातम्हा बिवार
            लाग आत्ये रे पैराया॥४॥
मन तुन्हं से रे भोयं
मन भावना तू भोया
तुन्हा  करता पाऊस
          उना भरी ल्हेरे झोया॥५॥


     निसर्गसखी सौ. मंगला मधुकर रोकडे.
शब्दसृष्टी, प्लाॅट नं ७अ, नारायण नगर, धरणगांव चौफुली रोड, एरंडोल जिल्हा जळगांव.
दूरध्वनी क्र. :-९३७१९०२३०३.

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