अहिराणी भाषा कविता

अहिराणी भाषा कविता

व्यथा बयीनी

देवबा कस सांगु तुले
बयीनी कठिण वेदना
अवकाळी पावसायानी घेर
पोटमा आज दु:ख मावेना…!!

तोंडी येल घास
अचानक हिसकाय लिना
काय पाप कय रे देवबा
बयी मन्हा ठार मरना…!!

सावकारी कर्ज डोकावर
नादान लेकरू गत शेती कई
घात कया देवनी मन्हावर
चारीचित भुईसपाट झाई…!!

ये कशी वैरीनी ठरनी
गारपिटीन माताडा हाहाकार
वारा वादयनी कयः त्रस्त
चोट्टागत बयीराजा झाया बेदार…!!

वावरमा व्हयन नुकसान देखताच
भयान त्रास झाया मनले
खादीना गद्दार बसनात सत्तावर
मन्ह दु:ख का येईना त्यासन ध्यानले…!!

Psi विनोद बी.सोनवणे (धुळे)
            दिनांक =२२-०४-२०२४

अहिराणी भाषा कविता
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अहिराणी कविता

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